Monday, November 22, 2010

कैसे जानें कि आप सफल हैं या नहीं?

जो कुछ भी हम करते हैं उसका एक निश्चित लक्ष्य होता है। उसके पीछे एक सोच होती है। जब भी हम अपने या दूसरों के लिए कुछ करते हैं तो इस बात का निर्धारण अहम होता है कि आपके कार्य का क्या महत्व है, क्या प्राप्त होगा और किस कीमत पर प्राप्त होगा?

दूसरे शब्दों में कहें तो हमारे क्रिया-कलापों को जांचने का पैरामीटर होना जरूरी है। अपने आप के कार्यो की समीक्षा करना बड़ा ही मुश्किल काम है क्योंकि हम सभी इन्हें बड़ी आसानी से करते हैं। इस समीक्षा का मूल उद्देश्य इस बात की पड़ताल करना है कि हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में कितना सफल हो पाए हैं।

मूलरूप से हम सभी सफल होना चाहते हैं। कोई भी समीक्षा आप को इस बात से अवगत कराती है कि आपमें सफलता प्राप्ति के लिए आवश्यक चीजें हैं या वो कौन सी चीजें हैं जो आपकी सफलता प्राप्ति के लिए आवश्यक है। ज्यादातर लोग अपनी सफलता को इस बात से तौलते हैं कि उनके बॉस या पड़ोसी इसे सराहते हैं, या उनके मित्र सराहते हैं, या उनके पद या फिर मैडल जो उन्होंने जीते हैं।

वास्तव में, कुछ लोग ऐसे होंगे जो सदैव आपको असफल मानेंगे चाहे आप कुछ करें या न करें, कुछ हासिल करें या न करें। ये ऐसे लोग हो सकते हैं जिनको आप न चाहते हों या फिर ये आपको न चाहते हों। इन पक्षपाती निर्णयों को पीछे छोड़ते हुए, आपको इस बात का निर्धारण करना होगा कि कौन और क्या आपका, आपकी सफलताओं एवं अन्य चीजों की समीक्षा करेंगे। आपको अपनी सफलता के मूल्यांकन हेतु अपने सूचक स्थापित करने होंगे।

मगर याद रखें कि आपकी समीक्षा आपसे ज्यादा कोई और ईमानदारी पूर्वक नहीं कर सकता है। दूसरों द्वारा की गई समीक्षा में आप उनके मानदंडों में उलझ कर रह जाते हैं।

लोग आपके बारे में आपके बातचीत के तरीके, चाल, संवाद एवं अपने आप कमेंट रखने के तरीके से अंदाजा लगा लेते हैं। ये सारी चीजें इस बात का इशारा करती हैं कि आप अपने बारे में क्या सोचते हैं और आप दूसरों पर कैसा प्रभाव छोड़ना चाहते हैं। इसलिए आप इस प्रकार व्यवहार करें जैसे कि आप पहले से सफल है। केवल तभी जब आप करते हैं, आप अपने आप का सही मूल्यांकन कर सकते हैं एवं अपने व्यूह रचना में परिवर्तन ला सकते हैं। विचारों के लिए कोई हाई-डाटा प्राप्त करना असंभव है। हां, कुछ कार्यो में जैसे मार्केटिंग में प्राप्त आंकड़ों के आधार पर इसका निर्धारण संभव है साथ ही साथ लक्ष्य प्राप्ति भी संभव है।

अपनी सफलता के मूल्यांकन की दूसरी विधि है कि अपनी सफलता को कार्य के उद्देश्य, अपने प्रदर्शन या किसी खास प्राथमिकता को प्राप्त करना या नहीं कर पाना, इससे तय समय सीमा के हिसाब से मूल्यांकन करें।

आप अन्य पैरामीटर भी तय कर सकते हैं जिसमें अपने आप से पूछना कि आपके पास एक सफल मन: स्थिति है और क्या आप अपने आप में विश्वास रखते हैं और अपने कार्य के प्रति उत्कट हैं। क्या आपने इन चीजों में अपनी उपलब्धि को प्रदर्शित किया है।

यह एक मूल सत्य है कि आप झूठा उत्साह नहीं दिखा सकते क्योंकि इसके बगैर कुछ भी हासिल करना असंभव है। आप अपने कार्यो में अधिक सफलता तभी प्राप्त कर सकते हैं जब आप इसमें विश्वास करते हैं और इसके प्रति उत्साहित है। केवल सफल होने की चाह जीवन के किसी भी क्षेत्र में आपको सफलता नहीं दिला सकती है चाहे वह वजन घटाने, पतला-दुबला होने की बात हो या फिर पेशेवर जीवन में लक्ष्य करने की। सफलता की मात्रा की बात हो या फिर पेशेवर जीवन में लक्ष्य प्राप्त करने की।

सफलता की मात्रा मापने का यह भी एक पैरामीटर हो सकता है। आप अपने आप से पूछ सकते हैं कि क्या आप अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए संयमपूर्वक कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार हैं। अपने दिमाग में बैठा लीजिए कि मास्टर्स की डिग्री हासिल करने में 16 साल, डाक्टर बनने में 6 साल और वकील बनने में 4 साल लगते हैं। इस बात की जांच करें कि क्या आप योजनानुसार एक ही लक्ष्य के प्रति पूर्णत: समर्पित है? इस बात की भी पड़ताल करें कि क्या आप उस लक्ष्य की ओर कदम बढ़ा रहे हैं या पथ भ्रमित हो गये हैं। सफलता के मूल्यांकन का अन्य तरीका यह भी है कि किसी खास लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अगले छ: महीने या एक साल के लिए आपके पास कोई निर्धारित योजना है या नहीं?

किसी खास लक्ष्य पर केन्द्रित रहना एवं उस पथ पर लगातार अग्रसर होते रहने के लिए काफी आत्म-अनुशासन की आवश्यकता होती है। सफलता की मात्रा को जानने का एक और तरीका है कि आप मुश्किलों में नये एवं अन्य पहलुओं को जानने के इच्छुक हैं और इसके लिए आप क्या कदम उठाते हैं।

अपने आप से पूछिये कि दूसरों के अनुभवों से आप कुछ सीखते हैं जैसे कि अपने समय के 20-30 प्रतिशत भाग से काम का 70-80 प्रतिशत प्राप्त करना। किस काम को अभी किया जाये और किसको बाद में ताकि समय की बचत की जा सके, यह एक कला है जिसे हर किसी की सीखना चाहिए जिसमें सफल लोग भी शामिल हैं। कठिन प्रयास तब तक बेकार है जब तक आपके जीवन, काम एवं पेशे में कोई बदलाव न लाये। समय दर समय इस बात पर गौर करना कि आपने वांछित लक्ष्य प्राप्त किया या नहीं, अत्यन्त आवश्यक है।

Monday, October 19, 2009

Happy Diwaly

Happy Diwaly all of you